बहुत कुछ है
जो कहना चाहता हूँ
कह सकता नहीं मगर
कि रौशन हैं कई चुल्हे
मेरी इस एक चुप्पी पर!
जो कहना चाहता हूँ
कह सकता नहीं मगर
कि रौशन हैं कई चुल्हे
मेरी इस एक चुप्पी पर!
अभी मैं उहापोह की स्थिति में
पेंडुलम की तरह डोल ही रहा था कि चच्चा हाँफते हुए कहीं चले जा रहे थे।
देखकर लगा कि चिढ़े हुए हैं। जैसे उन्होंने कोई भदइला आम जेठ के महीने में
खा लिए हों और जहर की तरह दाँत से ज्यादा मन एकदम ही खट्टा हो गया हो। जब
मैंने उनकी गाड़ी को अपने स्टेशन पर रुकते नहीं देखा तो मैंने चच्चा को जोर
से हॉर्न देते हुए बोला,