स्वयं शून्य
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गोरख पाण्डेय
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गोरख पाण्डेय
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सोमवार, 26 जुलाई 2021
कुर्सीनामा - गोरख पाण्डेय
1.
जब तक वह ज़मीन पर था
कुर्सी बुरी थी
जा बैठा जब कुर्सी पर वह
ज़मीन बुरी हो गई।
2.
उसकी नज़र कुर्सी पर लगी थी
कुर्सी लग गयी थी
उसकी नज़र को
उसको नज़रबन्द करती है कुर्सी
जो औरों को
नज़रबन्द करता है।
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