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रविवार, 18 जुलाई 2021

पहले अपना प्याला खाली करो

जापानी सदगुरु ‘नानहन' ने श्रोताओं से दर्शनशास्त्र के एक प्रोफेसर का परिचय कराया। उसके बाद अतिथि गृह के प्याले में वह उन प्रोफेसर के लिए चाय उड़ेलते ही गए। भरे प्याले में छलकती चाय को देख कर प्रोफेसर अधिक देर तक स्वयं को रोक न सके।
उन्होंने कहा- 'कृपया रुकिए! प्याला पूरा भर चुका है। उसमें अब और चाय नहीं आ सकती।'
नानइन ने कहा- 'इस प्याले की तरह आप भी अपने अनुमानों और निर्णयों से भरे हुए हैं। जब तक पहले आप अपने प्याले को खाली न कर लें, मैं झेन की ओर संकेत कैसे कर सकता हूँ?'

रविवार, 11 जुलाई 2021

सब धन धूलि समान

जयनगर के राजा कृष्णदेवराय ने जब राजगुरु व्यासराय के मुख से संत पुरन्दरदास के सादगी भरे जीवन और लोभ से मुक्त होने की प्रशंसा सुनी, तो उन्होंने संत की परीक्षा लेने की ठानी। एक दिन राजा ने सेवकों द्वारा संत को बुलवाया और उनको भिक्षा में चावल डाले। संत प्रसन्न हो बोले,‘महाराज! मुझे इसी तरह कृतार्थ किया करें।’

घर लौट कर पुरन्दरदास ने प्रतिदिन की तरह भिक्षा की झोली पत्नी सरस्वती देवी के हाथ में दे दी। किंतु जब वह चावल बीनने बैठीं, तो देखा कि उसमें छोटे-छोटे हीरे हैं। उन्होंने उसी क्षण पति से पूछा,‘कहां से लाए हैं आज भिक्षा?’ पति ने जब कहा कि राजमहल से, तो पत्नी ने घर के पास घूरे में वे हीरे फेंक दिए। अगले दिन जब पुरन्दरदास भिक्षा लेने राजमहल गये, तो सम्राट को उनके मुख पर हीरों की आभा दिखी और उन्होंने फिर से झोली में चावल के साथ हीरे डाल दिए। ऐसा क्रम एक सप्ताह तक चलता रहा।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

दो दरवाज़े

मरने के बाद आदमी ने स्वयं को दो दरवाजों के बीच खड़े पाया. एक पर लिखा था “लालसा”, और दूसरे पर “भय” लिखा था.
एक देवदूत उस तक आया और बोला, “तुम किसी भी द्वार को चुन सकते हो. दोनों ही नित्यता के मार्ग पर खुलते हैं”.
आदमी ने बहुत सोचा पर उसे तय करते नहीं बना. उसने देवदूत से ही पूछा, “मुझे कौन सा दरवाज़ा चुनना चाहिए?”
देवदूत ने मुस्कुराते हुए कहा, “उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. दोनों ही यात्राओं की परिणति दुःख में होती है.”