मुझको बहुत से लोग जानते हैं कि मैं वाचाल हूँ लेकिन मुझको जब काम पड़ता है तब मैं देखता हूँ कि मेरी वाणी रुक जाती है। यही दशा मेरी इस समय हो रही है। प्रथम तो जो अनुग्रह और आदर आप लोगों ने मेरा किया है उसके भार से ही मैं दब रहा हूँ, इसके उपरान्त मेरे प्रिय मित्रों और पूज्य विद्वानों ने जिन शब्दों में मेरे सभापतित्व का प्रस्ताव किया है उसने मेरे थोड़े से सामर्थ्य को भी कम कर दिया है। सज्जनों! मैं अपने को बहुत बड़भागी समझता यदि मैं उन प्रशंसा वाक्यों के सौवें हिस्से का भी अपने को पात्र समझता जो इस समय इन सज्जनों ने मेरे विषय में कहे हैं। हाँ, एक अंश में मैं बड़भागी अवश्य हूँ। गुण न रहने पर भी मैं आपकी मंडली में गुणी के समान सम्मान पाता हूँ। इसी के साथ मुझको खेद होता है कि इतने योग्य और विद्वानों के रहते हुए भी मैं इस पद के लिए चुना गया। फिर भी मैं आपके इस सम्मान का धन्यवाद करता हूँ, जो आपने मेरा किया है। मेरा चित्त कहता है कि इस स्थान में उपस्थित होने के लिए हमारे हिन्दी संसार में अनेक विद्वान थे और हैं जिनमें कुछ यहाँ भी उपस्थित हैं और जिनको यदि आप इस कार्य में संयुक्त करते तो अच्छा होता और कार्य में सफलता और शोभा होती। अस्तु, बड़ों से एक उपदेश सीखा है। वह यह है कि अपनी बुद्धि में जो आवे उस निवेदन कर देना। मित्रों की आज्ञा, मित्रों की मंडली का आज्ञा पालन करना मैं अपना परम धर्म समझता हूँ। अनुरोध होने पर अन्त में मैंने अपने प्यारे मित्रों से प्रेमपूर्वक निवेदन किया कि साहित्य सम्मेलन जिसका सभापति होने का सौभाग्य मुझे प्रदान किया गया है उसके कर्तव्य का पालन मेरा परम धर्म है। मैं आपसे दूर रहता हूँ। सो भी मैं कदाचित् निर्भय कह सकता हूँ कि हिन्दी साहित्य का रस पान करने में मुझको अन्य मित्रों की अपेक्षा कम स्वाद नहीं मिलता। उसके स्वाद लेने में मैं अपने किसी मित्र से पीछे नहीं। किन्तु अनेक कामों में रुका रहने के कारण मैं आपके बाहरी कामों का करने वाला सेवक हूँ। इस काम के लिए मैं अपने को कदापि योग्य नहीं समझता हूँ और इस अवसर पर जिसमें आपको पूर्व उन्नति के दृश्यों को देखना चाहिए था, जिनमें हिन्दी की भावी उन्नति का पथ प्रशस्त करना चाहिए था, किसी और ही मनुष्य को इस स्थान में बैठना चाहिए था, इसके योग्य मैं किसी प्रकार नहीं। अब यदि मैं इस स्थान में आकर आपकी आज्ञा पालन करने का यत्न न करूं तो उससे अपराध होता है। केवल इसी कारण मैं इस सम्मान का धन्यवाद देता हूँ और इस समय इस स्थान में आप लोगों की सेवा करने को तैयार हुआ हूँ।