स्वयं शून्य
पृष्ठ
मुख्यपृष्ठ
कविता
कहानी
आलेख
आलोचना
व्यंग्य
विपिन कुमार शर्मा
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
विपिन कुमार शर्मा
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 8 अप्रैल 2019
दुनिया झल्ला उठती है मुझ पर - विपिन कुमार शर्मा
दम साधे दबे पाँव
तीसरे पहर रात का सिराता अन्धेरा
और सन्नाटा
सन्नाटे और अन्धेरे को थाह-थाह
दबे पाँव चलता हूँ मैं
सोयी हैं बेसुध... पत्नी और बेटियाँ
जैसे सो रहीं धरती और नदियाँ...
Read more »
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)