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शुक्रवार, 9 जुलाई 2021

आनेवाला कल - रघुवीर सहाय

मुझे याद नहीं रहता है वह क्षण
जब सहसा एक नई ताकत मिल जाती है
कोई एक छोटा-सा सच पकडा जाने से
वह क्षण एक और बडे सच में खो जाता है
मुझे एक अधिक बडे अनुभव की खोज में छोडकर।

निश्चय ही जो बडे अनुभव को पाए बिना सब जानते हैं
खुश हैं
मैं रोज-रोज थकता जाता हूँ और मुझे कोई इच्छा नहीं
अपने को बदलने की कीमत इस थकान को देकर चुकाने की।

शनिवार, 4 जनवरी 2020

आपकी हँसी - रघुवीर सहाय

निर्धन जनता का शोषण है 
कह कर आप हँसे। 
लोकतंत्र का अंतिम क्षण है 
कह कर आप हँसे। 
सबके सब हैं भ्रष्टाचारी 
कह कर आप हँसे। 
चारों ओर बड़ी लाचारी 
कह कर आप हँसे।