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सोमवार, 29 जुलाई 2019

ग़रीबी - पाब्लो नेरूदा

आह! नहीं चाहती हो तुम
कि डरी हुई हो 
ग़रीबी से तुम;
घिसे जूतों में नहीं जाना चाहती हो बाज़ार तुम
और नहीं चाहती हो लौटना उसी पुराने कपड़े में। 

मेरी प्रेयसी! पसन्द नहीं है हमें,
कि दिखें हमें उस हाल में, है जो पसंद कुबेरों को;
तंगहाली हमारी।