
मुझे देखा तो बोले - 'जले पर नमक छिड़कने आए हो!'
'नमक इतना सस्ता नहीं है कि नष्ट किया जाए। कांग्रेस राज में नमक भी सस्ता नहीं रहा।'
'कांग्रेस को क्यों दोष देते हो! हमने तो नमक-आंदोलन चलाया।' - फिर बड़बड़ाने लगे, 'जो आता है कांग्रेस को दोष देता है। आप भी क्या विरोधी दल के हैं?'
'आजकल तो कांग्रेस ही विरोधी दल है।'
वे चुप रहे। फिर बोले, 'कांग्रेस विरोधी दल हो ही नहीं सकती। वह तो राज करेगी। अंग्रेज हमें राज सौंप गए हैं। बीस साल से चला रहे हैं और सारे गुर जानते हैं। विरोधियों को क्या आता है, फाइलें भी तो नहीं जमा सकते ठीक से। हम थे तो अफसरों को डाँट लगाते थे, जैसा चाहते थे करवा लेते थे। हिम्मत से काम लेते थे। रिश्तेदारों को नौकरियाँ दिलवाईं और अपनेवालों को ठेके दिलवाए। अफसरों की एक नहीं चलने दी। करके दिखाए विरोधी दल! एक जमाना था अफसर खुद रिश्वत लेते थे और खा जाते थे। हमने सवाल खड़ा किया कि हमारा क्या होगा, पार्टी का क्या होगा?'