विवेकी राय लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
विवेकी राय लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

घनचक्कर - विवेकी राय

घनचक्कर - विवेकी राय
कचहरी में बैठकर वह लगभग रो दिया था। ऐसा मामूली कार्य भी वह नहीं कर सकता? छोटे-छोटे आदमियों से असफल सिफारिश की खिन्‍नता लिए वह शाम को स्‍टेशन की ओर टहलता गया।

तभी आते-जाते लोगों के बीच दिखायी पड़ा तहसील-स्‍तर का नया ग्राम-नेता - दुबला, लंबा, मूँछें सफाचट, गेहुँआ रंग। ढीला-ढाला लंबा कुरता सफेद खादी का, कुरते की बाँहें काफी बड़ी, अर्थात् कलाई पर से लगभग एक बित्ता मुड़ी हुई, मुख पर टँगी धूर्त अहमन्‍यता, नकली तेजस्विता और ओढ़ी भद्रता। उसका झोला पीछे आता सस्‍ते गल्‍ले का एक ग्रामीण दुकानदार ढो रहा था। ग्राम-नेता की उँगलियों में बिना जलाई सिगरेट थी, वह वास्‍तव में दियासलाई की ताक में था और कुछ लंबा होने के कारण दूर-दूर की झाँकी ले रहा था। वह स्‍टेशन की ओर इस प्रकार बढ़ रहा था मानो किसी उद्घाटन में फीता काटना है। वी.आई.पी. मार्का चाल क्‍या सीखनी पड़ती है? - नहीं, स्‍वयं आ जाती है।