मैं लिख नहीं पाऊँगा
भव्य भूमिका
मेरे गीत के प्रस्तावाना के रूप में।
एक कवि से
कविता की यात्रा
के बीच ही
है साहस कुछ कहने का।
फूलों से गिर हुए
इन पँखुड़ियों में से ही
लगता है उचित एक कोई।
प्रेम अनुगूँजित होता रहेगा उसी से
जब तक
पँखुड़ी वो बालों में तुम्हारे
सुशोभित हो ना जाए।