स्वयं शून्य
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गुरुवार, 16 अप्रैल 2015
नज़र से नज़र की बात
नज़र ने तेरे
नज़र से मेरे
नज़र की बात की थी
पल दो पल की नहीं
सदियों से लम्बी बड़ी………
मुलाकात
की थी।
बंदिशें……
थीं जो दरम्याँ कुछ
नज़रों में ही टूट गईं
पर इतेफ़ाक़
ये भी कुछ अज़ीब था,
कि बात सारी
जो भी हुई
नज़रों में ही छूट गई।
©
राजीव उपाध्याय
1 टिप्पणी:
जमशेद आज़मी
7 नवंबर 2015 को 11:39 am बजे
बहुत सुंदर पोस्ट।
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बहुत सुंदर पोस्ट।
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