स्वयं शून्य
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त्रिलोचन
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सोमवार, 16 अगस्त 2021
दर्द - त्रिलोचन
दर्द कहाँ ठहरा
साँसों की गली में
देता रहा पहरा।
जीवन के सागर का
तल सम नहीं है
कहीं कहीं छिछला है
कहीं कहीं गहरा।
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सोमवार, 12 जुलाई 2021
पाहुन - त्रिलोचन
बना बना कर चित्र सलौने
यह सूना आकाश सजाया
राग दिखाया
क्षण-क्षण छबि में चित्त चुराया
बदल चले गए वे।
आसमान जब नीला-नीला
एक रंग रस श्याम सजीला
धरती पीली हरी रसीली
शिशिर -प्रभात समुज्ज्वल गीला
बदल चले गए वे।
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