स्वयं शून्य
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सोमवार, 16 अगस्त 2021
दर्द - त्रिलोचन
दर्द कहाँ ठहरा
साँसों की गली में
देता रहा पहरा।
जीवन के सागर का
तल सम नहीं है
कहीं कहीं छिछला है
कहीं कहीं गहरा।
सागर ने छोड़ दिया जिसे
उस मरु का सिकता के सागर का,
हाहाकार कितना
मिटा सकेगा लहरा।
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त्रिलोचन
3 टिप्पणियां:
संगीता स्वरुप ( गीत )
16 अगस्त 2021 को 1:17 pm बजे
बहुत गहन
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Nitish Tiwary
6 सितंबर 2021 को 1:08 am बजे
बहुत खूब।
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हरीश कुमार
26 सितंबर 2021 को 8:47 pm बजे
सुन्दर रचना
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बहुत गहन
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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