जिस दिन से प्रोफेसर काजी अब्दुल कुद्दूस, एम.ए., बी.टी. गोल्ड मैडलिस्ट (मिर्जा का कहना है कि यह पदक उन्हें मिडिल में बिना नागा उपस्थिति पर मिला था) यूनिवर्सिटी की नौकरी से त्यागपत्र देने के बाद बैंक ऑफ चाकसू लिमिटेड में डायरेक्टर, पब्लिक रिलेशन्स एंड एडवरटाइजिंग की हैसियत में धाँस दिए गए थे, उनके सम्मान में इस तरह के शाम-भोज, स्वागत-समारोह और डिनर दैनिक दफ्तरी जीवन का तत्व बल्कि जीवन का अंग बन गए थे। घर पर नेक कमाई की रोटी तो केवल बीमारी के समय में ही बरदाश्त करते थे, वरना दोनों समय स्वागत-भोज ही खाते थे। बैंक की नौकरी प्रोफेसरश्री के लिए एक अजीब अनुभव साबित हुई, जिसका मूल्य वो हर तरह से महीने की तीस तारीख को वसूल कर लेते थे।