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रामरक्षा मिश्र विमल
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रामरक्षा मिश्र विमल
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सोमवार, 6 जनवरी 2020
पहल - रामरक्षा मिश्र विमल
एक दिन नदी ने अरार को उलाहना दी
तुमने कभी जाना ही नहीं
मेरे भीतर के रस को
सदा से कटे रहे हो मुझसे
सूखे और तने रहकर
आदर्श पुरुष बनना चाहते हो।
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