शनिवार, 4 जनवरी 2020

आपकी हँसी - रघुवीर सहाय

निर्धन जनता का शोषण है 
कह कर आप हँसे। 
लोकतंत्र का अंतिम क्षण है 
कह कर आप हँसे। 
सबके सब हैं भ्रष्टाचारी 
कह कर आप हँसे। 
चारों ओर बड़ी लाचारी 
कह कर आप हँसे। 
कितने आप सुरक्षित होंगे 
मैं सोचने लगा। 
सहसा मुझे अकेला पा कर 
फिर से आप हँसे। 
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रघुवीर सहाय

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