जापानी सदगुरु ‘नानहन' ने श्रोताओं से दर्शनशास्त्र के एक प्रोफेसर का परिचय कराया। उसके बाद अतिथि गृह के प्याले में वह उन प्रोफेसर के लिए चाय उड़ेलते ही गए। भरे प्याले में छलकती चाय को देख कर प्रोफेसर अधिक देर तक स्वयं को रोक न सके।
उन्होंने कहा- 'कृपया रुकिए! प्याला पूरा भर चुका है। उसमें अब और चाय नहीं आ सकती।' नानइन ने कहा- 'इस प्याले की तरह आप भी अपने अनुमानों और निर्णयों से भरे हुए हैं। जब तक पहले आप अपने प्याले को खाली न कर लें, मैं झेन की ओर संकेत कैसे कर सकता हूँ?'
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