बुधवार, 18 दिसंबर 2019

कि तुम्हारा ख़त मिला - राजीव उपाध्याय

डाकिए ने 
थाप दी हौले से 
आज दरवाजे पर मेरे 
कि तुम्हारा ख़त मिला। 

तुमने हाल सबके सुनाए 
ख़त-ए-मजमून में 
कुछ हाल तुमने ना मगर 
अपना सुनाया 
ना ही पूछा 
किस हाल में हूँ? 
कि तुम्हारा ख़त मिला। 

बता क्या जवाब दूँ मैं तुमको? 
या घर की ख़बर सुना दूँ? 
कि मेरे बालों की चाँदी तरह ही 
बहुत पुराना हो गया है 
कि साँस उसकी 
अब उखड़ने सी लगी है। 
कि तुम्हारा ख़त मिला।
-------------------------
राजीव उपाध्याय

12 टिप्‍पणियां:

  1. "ना हाल अपना सुनाया और ना मेरा ही पूछा" खत लिखा, वाह

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 18 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (19-12-2019) को      "इक चाय मिल जाए"   चर्चा - 3554    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  4. अंतरमन से उकेरी बेहतरीन अभिव्यक्ति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. गहराई से उभरे एहसास।
    सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं