शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

सूर्ख शर्तें - राजीव उपाध्याय

कुछ चेहरे
बस चेहरे नहीं होते
सूर्ख शर्तें होती हैं हमारे होने की।

कुछ बातें
बस बातें नहीं होतीं
वजह होती हैं हमारे होने की।

और बेवजह भी बहुत कुछ होता है
जिनसे जुड़ी होती हैं
हमारी साँसें होने की।

तो क्या कर इन्हें मैं याद करूँ
कि जीते रहें ये यूँ कर
कि रहे खबर मुझे मेरे होने की।
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सूर्ख शर्तें - राजीव उपाध्याय, Hindi kavita, rajeev upadhyay
राजीव उपाध्याय

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