मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है
जुगनुओं की लौ में पढ़ना
मुट्ठियां भींचकर बस वक़्त निकाल लेना बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना
तड़प का न होना
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे ख़तरनाक वो घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी नज़र में रुकी होती है।
सबसे ख़तरनाक वो आंख होती है
जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्बत से चूमना भूल जाती है
और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है
सबसे ख़तरनाक वो गीत होता है
जो मरसिए की तरह पढ़ा जाता है
आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर
गुंडों की तरह अकड़ता है
सबसे ख़तरनाक वो चांद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए आंगन में चढ़ता है
लेकिन आपकी आंखों में
मिर्चों की तरह नहीं पड़ता।
सबसे ख़तरनाक वो दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और जिसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए।
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (02-08-2019) को http://charchamanch.blogspot.in/"> "लेखक धनपत राय" (चर्चा अंक- 3415)
जवाब देंहटाएंपर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद सर।
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ अगस्त २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद
सादर आभार।
हटाएंबहुत सुंदर और भावुक रचना। मेरे ब्लॉग पर भी आइये।
जवाब देंहटाएंiwillrocknow.com
सादर।
हटाएंव्वाहहहह..
जवाब देंहटाएंगम्भीर चिंतन..
साधुवाद..
सादर..
जी। उनकी अधिकतर रचनाएँ गंभीर हैं
हटाएंबहुत सार्थक अभिव्यक्ति यथार्थ पर चिंतन देती ।
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद।
हटाएंखतरनाक को बड़े ही खतरनाक ढंग से परिभाषित किया है...मुर्दा धूप का टुकड़ा...पूरब में चुभ जाना...सपनों का मर जाना...👌👌👌
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत... लाजवाब...