स्वयं शून्य
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गुरुवार, 8 दिसंबर 2011
ये आज, जो आज है
ये
आज,
जो
आज
है
कल
अतीत
बन
जाएगा।
बारिश
के
बादलों
सा
कुछ
बरसेगा
,
कुछ
रह
जाएगा।
हर
बात
,
हर
हस्ती
ख़ाक
में
मिल
जाएगी।
ना
तूम
होगे
,
ना
मैं
रहूंगा
बस
प्रेम
अमर
रह
जाएगा।
ये
आज
जो
आज
है
कल
अतीत
बन
जाएगा।।
©
राजीव उपाध्याय
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