सब सोते हैं, मैं रोता हूँ
इश्क ने जब से है रंगत बदली
डुबा डुबा सा रहता हूँ
ख़ून से अपने यूँ धोता हूँ।
सब सोते हैं, मैं रोता हूँ।।
कोई तल्ख़ी अब ना रही
बरसों बीत गए, तूमसे मिले-बिछड़े
पर अब भी सांसों में बची हो।
सब कुछ खोकर तूमको पाता हूँ
मैं नहीं अब, बस तूममें जीता हूँ।
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