स्वयं शून्य
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मंगलवार, 20 दिसंबर 2011
आहिस्ता आहिस्ता दर्द बढ़ता है
आहिस्ता
आहिस्ता
दर्द
बढ़ता
है
दिल
के
किसी
कोने
में।
यादों
की
पुरवाई
आकर
मुझसे
कहती
है
तन्हाई
के
मौसम
में॥
©
राजीव उपाध्याय
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