गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

कुछ मुक्तक -5

ये प्यार है या कुछ और है, हमको बता ये कौन है
जो नींद थी आँखों मे, अब नज़र आती नहीं
सपने हैं कुछ हसीन से, जो आँखो से जाते नहीं
ये प्यार है या कुछ और है, हमको बता ये कौन है॥

तमाम शिकवे गिले भूलाकर गए, साथ अपने हमको छुपाकर गए।
अब चलें तो चलें किस राह पर, ना मंजिल ना रास्ता बताकर गए।।


कुछ इस कदर ख़फा वो हमसे हुए,
कुछ ना कहे चले गए,
आँसू भी मेरे संग ले गए।।
©राजीव उपाध्याय

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भाव लिए मुक्तक ... मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार

    कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  2. आपने समय निकाल कर मेरे जैसे लिखने वाले यहाँ आयी और टिपण्णी कीं बहुत बहुत धन्यवाद

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