सुना था आइने में चेहरा दिखता है।
पर आज चेहरे में चेहरा दिखा है॥
हम रोते हुए निकले घर से, तूम हंसते हुए।
लोगों ने समझा, एक खुश है, है दुसरा ग़म में।
पर उन्हें क्या पता, हम दोनों ही खुश हैं॥
चलना चाहता हूँ कुछ दूर तक मैं
पर मंज़िल का पता नहीं
सुन्दर शब्द रचना
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सावन साहब
हटाएं