सोमवार, 12 दिसंबर 2011

कुछ तो कहो, क्यों चुप रह्ते हो -1

बड़ी मुद्द्त बाद मिले हो
कुछ तो कहो
क्यों चुप रह्ते हो?


कई दिनों से
रस्ते पर तेरे
नज़रें टिकाए
तुझे तकते थे;
कुछ कहते थे
तूम ना आओगे;
पर दिल की जवाँ
धड़कन ले कर
साथ तेरे रहते थे।
क्या हुआ
क्यों उदास हो
क्यों बेख़बर दिखते हो?
कुछ तो कहो
क्यों चुप रह्ते हो?
©राजीव उपाध्याय

11 टिप्‍पणियां:

  1. Kiska hai ye tumko intzaar main hun na...
    bahut hi umda lines hain, but mujhe pata hai aap isse bhi bahut behtar likh sakte hi.. keep it up!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत-बहुत धन्यवाद शास्त्री जी कि आपने इतनी पुरानी रचना की ओर ध्यान दिया। सादर आभार आपको।

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्तर
    1. प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद जोशी जी।

      हटाएं
  4. Bahut hi khubsurat prastuti ..aise hi likhate rahiye ..meri shubhkaaamnaayein aapko !!

    जवाब देंहटाएं
  5. अक्सर चुप रहने वाले कई बातें कर जाते हैं ....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी चुप्पी अक्सर शब्दों से ज्यादा बातें करती है।

      हटाएं