हमसफ़र चाहता
हूँ,
बस इक
तेरी नज़र चाहता
हूँ।
जिन्दगी कुछ
यूँ हो मेरी,
बस इक
घर चाहता हूँ॥
हमसफ़र चाहता
हूँ॥
कदम दो
कदम जो चलना
जिन्दगी में
कदमों पे
तेरे,
कदम चाहता हूँ।
लबों पे
खुशी हो तेरे
सदा
ऐसी कोई
कसम चाहता हूँ।
हमसफ़र चाहता
हूँ॥
राह-ए-जिन्दगी
होगी हसीन
ग़र संग
हम दोनों चलें
फूलों में
देखो,
हैं रंग कितने
उन्हीं में
जीवन बसर चाहता
हूँ।
हमसफ़र चाहता
हूँ॥
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-09-2014) को "कुछ बोलती तस्वीरें" (चर्चा मंच 1750) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
शारदेय नवरात्रों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री जी।
हटाएंवाह ! बहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
हटाएंBahut Sunder...
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद मोनिका जी। अगर कुछ सुधार की गुंजाइश हो तो कृपया बताएँ।
हटाएंBeautiful ! :)
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंनवरात्रों की हार्दीक शुभकामनाएं !
शुम्भ निशुम्भ बध - भाग ५
शुम्भ निशुम्भ बध -भाग ४
बहुत-बहुत धन्यवाद कालीपद जी। आपको भी नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
हटाएंBahut sunder rachna .....!!!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद परवीन जी।
हटाएंसुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद जोशी जी कि आपने अपना समय मुझे भी दिया। अगर कोई त्रुटि हो तो जरूर बताएं।
हटाएंVery nice post..
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद।
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुषा जी।
हटाएंबहुत भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद शर्मा जी कि आपने अपना कुछ समय मुझे भी दिया।
हटाएंवाह ! कितनी सुन्दर पंक्तियाँ हैं ... मन मोह लिया इस चित्र ने तो !
जवाब देंहटाएंआपको हार्दिक धन्यवाद भास्कर जी।
हटाएंसुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद जेन्नी जी।
हटाएंvery touching.....
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद।
हटाएंहृदय में उठती कामना की सहज-सलोनी लहर जैसे कविता में रूपायित हो जाए !
जवाब देंहटाएंआप जो कह रही हैं मैंने कोशिश तो वैसे ही किया है परन्तु मैं उस पर कितना खरा उतरा आप जैसे सुधीजन ही बता सकती हैं। बहुत बहुत धन्यवाद की आपने समय निकाल कर प्रोत्साहित किया।
हटाएंबहुत हीसुुंदर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंNice information really
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