गुरुवार, 25 सितंबर 2014

दीपिका पादुकोण: महिला सशक्तिकरण का नया प्रतिमान

इस देश में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर बहुत कुछ हो रहा है और इसी क्रम में दीपिका पादुकोण ने अभूतपूर्व योगदान दिया है। ऐसा नहीं है कि दीपिका पादुकोण ने अकेले ही इस महान यज्ञ में आहुति दी है; और भी बहुत लोग हैं और राजनीति एवं साहित्य जगत का योगदान भी महत्त्वपूर्ण और बहुत हद तक क्रान्तिकारी है।


हुआ यूँ कि दीपिका का वक्षस्थल किसी के नज़र में आ गया और उस कामी व्यक्ति ने उस स्वर्गीय एवं मनोहारी दृश्य को बाकी लोगों के नज़र करने का अपराध कर मर्यादाओं का उलंघन कर दिया जो कि निश्चित रूप से स्त्री की अस्मिता एवं सम्मान पर आक्रमण है। कदाचित ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर कोई कपड़ा नहीं पहनता है तो ये उसकी स्वतंत्रता है और दीपिका ने सब कुछ कला के अभूतपूर्व विकास के लिए किया है ठीक उसी तरह जैसे कुछ देवी देवताओं का नंगा चित्र बनाया गया था। भाई ये कला है अश्लीलता नहीं और साथ ही स्त्री सशक्तिकरण का ज़रिया भी है। अतः दोष उस व्यक्ति और उन पुरूषों का है जो स्त्री को गलत नज़रों से देखते हैं और कला एवं अश्लीलता को मिलाते हैं। आमिर खान नंगा हो सकता है तो क्या दीपिका अपना वक्षस्थल भी नहीं दिखा सकती? ये बहुत अन्याय है। ये पूर्णरूप से पुरूषवादी एवं सामंतवादी संकीर्ण सोच है। शर्म आनी चाहिए ऐसे पुरूषों को जो चुपचाप मनोरंजन करने के बजाय सवाल उठा रहे हैं। मुझे लगता है ये सारे सवाल कहीं दक्षिणपंथी किसी राजनैतिक साजिश के तहत तो नहीं कर रहे क्योंकि उनकी वजह से ही हुसैन साहब को देश से बाहर मरना पड़ा था जबकि वो सिर्फ कला के विकास में योगदान दे रहे थे। दीपिका तुम भी डरे रहना इन दक्षिणपंथियों से। वैसे हम तुम्हारे साथ हैं और हम सम्मान की निगाहों से तुम्हें देखेंगे या फिर जैसे कहोगी वैसे देखेंगे।



8 टिप्‍पणियां:

  1. हुसेन साहब का तो पता नहीं ... हाँ दीपिका ने जो किया वो साहस भरा कदम है और सबको उसके साथ होना चाहिए ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मैं आपकी भावनाओं का आदर करता हूँ और मैं स्वयं चाहता हूँ कि स्त्री सशक्त हो परन्तु सशक्तिकरण का मतलब कदाचित स्वयं को उपभोग की वस्तु बना देना नहीं है और वस्तु बना दिया तो लोग उपभोग तो करेंगे ही और इसी उपभोग का परिणाम है कि आप और मैं दीपिका को जानते हैं, नहीं तो सुन्दर स्त्रि्यों की कमी नहीं है इस दुनिया में। रही बात सशक्तिकरण की तो इन्दिरा नुयी, चन्दा कोच्चर, मैरी काम बेहतर उदाहरण और रास्ता हैं। रही बात अभिनय कि तो माधुरी दीक्षित, मधुबाला, मीना कुमारी या फिर स्मिता पाटिल के पासंग भी नहींं है दीपिका।

      हटाएं
  2. प्रसून जी बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं