बुधवार, 15 दिसंबर 2021

आसमानी चाँद जाने क्या हुए - चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह 'बशर'

आसमानी चाँद जाने क्या हुए?
आँख के सपने सुहाने क्या हुए?

गुम हुईं क्यों बात की गहराइयाँ?
मुल्क के सारे दिवाने क्या हुए?

मिट गए क्यों फूल खुशबूदार सब?
बुलबुलों के मीठे गाने क्या हुए?

हाशिए पर लोग बढ़ते जा रहे,
एकता के ताने-बाने क्या हुए?

अर्ध-नंगे लोग भूखे हैं 'बशर',
जो हमारे थे खजाने क्या हुए?
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चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह 'बशर'


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