एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
हाथी सा बलवान,
जहाजी हाथों वाला और हुआ!
सूरज-सा इन्सान,
तरेरी आँखोंवाला और हुआ!!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
माता रही विचार,
अँधेरा हरनेवाला और हुआ!
दादा रहे निहार,
सबेरा करनेवाला और हुआ!!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
जनता रही पुकार,
सलामत लानेवाला और हुआ!
सुन ले री सरकार!
कयामत ढानेवाला और हुआ!!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
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हाथी सा बलवान,
जहाजी हाथों वाला और हुआ!
सूरज-सा इन्सान,
तरेरी आँखोंवाला और हुआ!!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
माता रही विचार,
अँधेरा हरनेवाला और हुआ!
दादा रहे निहार,
सबेरा करनेवाला और हुआ!!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
जनता रही पुकार,
सलामत लानेवाला और हुआ!
सुन ले री सरकार!
कयामत ढानेवाला और हुआ!!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-07-2021को चर्चा – 4,133 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 22 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
वाह! मजदूरों को व्यथा उकेरी बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकयामत लाने वाला और हुआ
जवाब देंहटाएंये जन्म होना सफल हो ।
कमाल की रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही बढ़िया 👌
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएं