सोमवार, 21 जून 2021

कभी मुझ को साथ लेकर कभी मेरे साथ चल के - अहसान बिन 'दानिश'

कभी मुझ को साथ लेकर कभी मेरे साथ चल के
वो बदल गये अचानक मेरी ज़िन्दगी बदल के।

हुए जिस पे मेहरबां तुम कोई ख़ुशनसीब होगा
मेरी हसरतें तो निकलीं मेरे आंसूओं में ढल के।

कोई फूल बन गया है कोई चांद कोई तारा
जो चिराग़ बुझ गये हैं तेरी अंजुमन में जल के।

मेरे दोस्तो ख़ुदारा मेरे साथ तुम भी ढूंढ़ो
वो यहीं कहीं छुपे हैं मेरे ग़म का रुख़ बदल के।

तेरी बेझिझक हंसी से न किसी का दिल हो मैला
ये नगर है आईनों का यहां सांस ले सम्भल के।
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अहसान बिन 'दानिश'

 

1 टिप्पणी:

  1. वाह वाह वाह... क्या बात है.
    सभी शेर कमाल के हैं भाई साहब.

    नई पोस्ट पुलिस के सिपाही से by पाश
    ब्लॉग अच्छा लगे तो फॉलो जरुर करना ताकि आपको नई पोस्ट की जानकारी मिलती रहे

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