लम्बाई मेरी चौडाई, मेरे पिता जैसी है
मेरी बेटी कहती है उसके बाबा की तरह हूँ बोलता
और मेरी पत्नी को लगता है कि हम बाप-बेटे दोनों एक जैसे हैं।
सालों पहले यही बात माँ भी कहती थी
थोड़ा सा उसका हूँ कि बाकी हूँ पिता का;
मगर लगता था तब कुछ और ही
कि अलहदा हूँ पिता से मेरे अपने
मगर झुर्रियां मेरे भाई की
आइने में मेरी अपनी लगती हैं
कि शायद मैं मेरे पिता की
छायाकृति हूँ कोई
जो दादा से मेरे
मेरे बच्चों तक पहुँची है।
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राजीव उपाध्याय
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-04-2019) को "मतदान करो" (चर्चा अंक-3300) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद सर
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