सोमवार, 16 मई 2016

जरूरी नहीं - राजीव उपाध्याय

हर तस्वीर साफ ही हो ये जरूरी नहीं
जमी मिट्टी भी मोहब्बत की गवाही देती है।
-----------------------------------
मैं भी कभी हो बेसुध, नीड़ में तेरी सोता था
बात मगर तब की है, जब माँ तुझे मैं कहता था।
-----------------------------------
मोहब्बत में फकीरी है बड़े काम की
दिल को दिल समझ जाए तय मुकाम की॥
-----------------------------------
क़त्ल-ओ-गारद का सामान हर हम लाए हैं
तू चाहे खुदा बन या मौत ही दे दे मुझे।
-----------------------------------
हर आदमी यहाँ खुदा हो जाना चाहता है
कि कोई सवाल ना करे सवाल उछालना जानता है।
-----------------------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें