मुश्किल नहीं बातों को
भुलाकर बढ जाना आगे;
पर धूल जो लगी है पीठ पर
सालती है जब ना तब
और सालती रहेगी जब तक
कुछ ना कुछ होता रहेगा
कि होने से फिर होने का
इक सिलसिला हो जाएगा
जो फिर कहानी में कई
मोड़ तक ले जाएगा
और जाने का सिला
जानिब तक पहुँच ना पाएगा।
----------------------------
राजीव उपाध्याय
भुलाकर बढ जाना आगे;
पर धूल जो लगी है पीठ पर
सालती है जब ना तब
और सालती रहेगी जब तक
कुछ ना कुछ होता रहेगा
कि होने से फिर होने का
इक सिलसिला हो जाएगा
जो फिर कहानी में कई
मोड़ तक ले जाएगा
और जाने का सिला
जानिब तक पहुँच ना पाएगा।
----------------------------
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएं