स्वयं शून्य
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गुरुवार, 26 मार्च 2015
एक दोहा
झूठी सकल किताब हैं, झूठे हैं सब वेद।
उतना ही सच जानिए, खोल सके जो भेद॥
©
राजीव उपाध्याय
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