कुछ लोग बड़े ही चिन्तित हैं कि भारत में इस्लाम और ईसायत पर हमला हो रहा है क्योंकि कुछ हिन्दूवादी संगठनों ने कुछ मुस्लमानों को तथाकथित रूप से हिन्दू बनाया था आगरा में और अलीगढ़ में तैयारी है कुछ और मुस्लमानों और ईसाइयों को हिन्दू बनाने की। तो कुछ लोग खुश हैं कि चलो कालचक्र का पहिया घूमना शुरू तो हुआ। माफी चाहूंगा पर आप दोनों ही गलत हैं। थोड़ा नहीं बहुत गलत हैं और आप लोगों के इस सोच या कर्म से ना तो राम खुश हो सकते हैं ना ही अल्लाह या ना ही गाड। आप सभी महाविद्वानों से नम्र निवेदन है (शायद आपके के अनुसार मैं इस काबिल नहीं हूँ) आप अपने-अपने धर्मों में पाए जाने वाली विसंगतियों एवं कुप्रथाओं की ओर ध्यान दें नहीं तो आप महाविद्वान लोग अपने-अपने धर्मों नारकीय बना देगें (खैर आपने बहुत हद तक बना दिया है धर्म और मानवता दोनों को) और लोग आपको धन्यवाद बोलकर नया रास्ता ले लेंगे पर तब आपकी बन्दूकें और धन सब धरी की धरी रह जाएंगी।
पता नहीं कौन सा जिहाद ये कि बच्चे छोटे भी काफ़िर हो गए।
माफ करना बच्चों तुम्हारे पिता और दादा कुछ ज्यादे ही सयाने हो गये हैं कि बन्दूक थामकर मजहब बचाने चले हैं………….।
© राजीव उपाध्याय
पता नहीं कौन सा जिहाद ये कि बच्चे छोटे भी काफ़िर हो गए।
माफ करना बच्चों तुम्हारे पिता और दादा कुछ ज्यादे ही सयाने हो गये हैं कि बन्दूक थामकर मजहब बचाने चले हैं………….।
© राजीव उपाध्याय
आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर ( संकलक ) ब्लॉग - चिठ्ठा के "साहित्यिक चिट्ठे" कॉलम में शामिल किया गया है। कृपया हमारा मान बढ़ाने के लिए एक बार अवश्य पधारें। सादर …. अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंकृपया ब्लॉग - चिठ्ठा के लोगो अपने ब्लॉग या चिट्ठे पर लगाएँ। सादर।।
आपको बहुत बहुत धन्यवाद्।
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-12-2014 को चर्चा मंच पर क्रूरता का चरम {चर्चा - 1831 } में दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत बहुत धन्यवाद दिलबाग जी।
हटाएंसंवेदनशीलता अपने चरम में है ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नस्वा जी।
हटाएंक्या कोई बता सकता है ऐसे दरिंदों का मज़हब ...जिन्होंने मजहब के नाम पर मासूमों की बलि दे डाली… संवेदनशील। ।
जवाब देंहटाएंइनके मजहब का तो नहीं मालूम परन्तु ये सब मजहब के नाम पर ही हो रहा है और इसी का तो अफसोस है इन्होंने मजहब को ढाल बना रखा है। पर शायद ये वक्त आ गया है कि इनके हममजहब आगे आकर इनकी कारस्तानियों की सजा दें।
हटाएंशर्मनाक...हम सब हतप्रभ और आहत हैं।
जवाब देंहटाएंजी सही कह रही हैं आप पर इन वहशियों को शायद ही फर्क पड़ा हो।
हटाएंक्रूरता की इन्तेहा है. पूरी दुनिया स्तब्ध है.
जवाब देंहटाएंजी शबनम जी। पता नहीं कहाँ से इतनी क्रूरता ये लोग ले कर आते हैं अपने हृदय में।
हटाएंसंवेदनशील... नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ, सादर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अंकूर जी
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